पढ़े अर्चना ठाकुर की बेदर्दी....रंजीत की उंगलियाँ अब भी गिलास थामे थीं, पर उसकी पकड़ इतनी कड़ी थी कि काँच की धड़कन सुनाई देने लगी थी।
ऋत्विक ने वहां की लाइट थोड़ी मद्धम कर दी थी। दीवारों पर लगी महंगी पेंटिंग्स और धीमी जैज़ म्यूज़िक उस पल को और भारी बना रहे थे। रंजीत के हाथ में व्हिस्की का गिलास, पर आँखें किसी गहरे विचार में डूबी हुईं।
ऋत्विक ने जैसे जानबूझकर चुप्पी तोड़ी। वो अपनी ड्रिंक का घूंट लेते हुए बोला -
“रंजीत… कभी सोचा है, कुछ औरतें किस हद तक गिर सकती हैं?”
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Seema 03666
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