Deprecated: Constant FILTER_SANITIZE_STRING is deprecated in /home/sm.storymania.in/public_html/assets/includes/functions_one.php on line 11122
खामोश होंठ, मगर कहानियाँ अनगिन, ये आँखें सुनाएँ, ..

खामोश होंठ, मगर कहानियाँ अनगिन,
ये आँखें सुनाएँ, जो शब्द न कह सकें किन्हीं दिन।

पलकों के पीछे छुपा है मौसम का रंग,
कभी सावन की भीगी धुन, कभी अंगारों का ढंग।

मुस्कान से पहले चमक उठती हैं ये,
दुःख से पहले भीगी राहें दिखा देती हैं ये।

प्यार में ये झील बन जाती हैं गहरी,
रूठ जाएँ तो पत्थरों सी ठहरी।

इनमें है सच, इनमें है धोखा,
ये नयन हैं मन का खुला रोका।

तुम सुनना चाहो तो सब कह जाएँगी,
वरना चुपचाप भी बहुत कुछ सुना जाएँगी।

লাইক