"प्लीज ऐसा मत करो। मेरा बेबी मुझे दे दो। मै उसके बिना नहीं रह सकती।" अक्षिता अपने घुटने के बल बैठी रो रही थी।
वाही उसके सामने खड़ा शख्स जिसे अक्षिता के रोने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। "रहना सीखो क्युकी अब तुम्हारा अक्ष तो तुम्हे कभी नहीं मिलेगा।" उस शख्स के ये शब्द अक्षिता के दिल को चिरने के लिए काफी थे।
आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़िए मेरी novel Stubbornness of junoon.
Check out Stubbornness of junoon. novel on Story Mania
https://storymania.in/SZDbehhAjowz
Read long story (150+ parts) only on Story Mania
aarya arora
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
Kartik Ōñ
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
रितिका सिंगला
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
Vandana Yadav
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
Jyoti
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?